विकास


विकास का परिचय

विकास अथवा प्रगति की जाना हमेशा से हमारे साथ है। आदिकाल से कई चीजों में कुछ ना कुछ सकारात्मक बदलाव जरूर आए हैं। जैसे पूर्वकाल में हमारे पूर्वज पैदल यात्रा कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन करते थे। उस काल के बाद कुछ सुधार हुए और पहिए का आविष्कार हुआ और बैलगाड़ी आई।अगर आज का दौर देखने जाए तो इस समय एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करने के लिए आधुनिक कार उपलब्ध है। जो समय को मध्य नजर रखते में हमारी मंजिल तक पहुंचा सकती है। एक प्रकार से यह विकास की है।

विकास क्या है?

विकास के दो स्तर हो सकते हैं, व्यक्तिगत और सामाजिक।

 व्यक्तिगत स्तर पर कोई व्यक्ति अपना खुद का भला चाहता है। जैसे कि एक दुकानदार चाहता है कि उसकी चीजों पर दुगना दाम मिले। इस चाहत में दुकानदार का मुनाफा है लेकिन किसी ग्राहक का नुकसान हो सकता है। क्योंकि हर खरीदार की यही कामना होती है कि वह चीजों को सस्ते से सस्ते दाम में खरीद सके। इस तरह व्यक्तिगत विकास किसी के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।

दूसरे स्तर की बात करें तो सामाजिक विकास किसी समाज के भले का वादा करता है। जैसे किसी सामूहिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र को बनवाना। जिससे हर व्यक्ति उसका फायदा ले सके। इस्तर में किसी व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि किसी मानव समाज के समूह के हित के बारे में विचारणा की जाती है।

बात का निष्कर्ष यह है कि व्यक्तिगत विकास के उद्देश्य भिन्न भिन्न हो सकते हैं। यदि एक के लिए वह विकास है, तो दूसरे के लिए होना आवश्यक नहीं है। जबकि दूसरों के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

विकास के कारक 

विकास के कई प्रकार के कारक हो सकते हैं। जैसे आय, साक्षरता, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, सुरक्षा, सामाजिक बराबरी आदि। लेकिन आय को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है।जिससे किसी देश के विकास पर का अंदाजा लगाया जा सके। आय को महत्वपूर्ण कारक मानने के पीछे यह कारण है की द्रव्य राशि से कई भौतिक सुख सुविधाएं है जो खरीदी जा सकती है। जैसे भोजन, जल, परिवहन सेवा, स्वास्थ्य संबंधित चीजें आदि।

हर देश की जनसंख्या अलग-अलग होने के कारण देशों के विकास की तुलना करने के लिए हम औसत आय पर निर्भर है।

औसत आय क्या है?

औसत आय देश की कुल आय को जनसंख्या से भागने पर मिला अंक है। वर्ष 2016 के अनुसार जिस किसी देश की औसत आय 12,236 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष या इससे अधिक है। वह देश विकसित माना जाता है। इसी तरह किसी देश की आय 1,500 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष होती है या इससे कम होती है, वह निम्न आय वाला देश माना जाता है। भारत की औसत आय वर्ष 2016 में केवल 1,840 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष थी। इस कारणवश भारत एक मध्यम आय वाला देश माना जाता है।

औसत आय की सीमाएं

औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है किंतु यह समानताएं छुपा देता है। उदाहरण के तौर पर अमेरिका जैसे बड़े देशों में लगभग हर व्यक्ति की आर्थिक परिस्थिति सामान्य है। लेकिन भारत जैसे गरीब और अमीर दोनों प्रकार के लोगों के देश में गरीबों की आय भी औसत आय में सामान्य हो जाती है।   




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